Movie/Album: लवशुदा (2016)
Music By: मिथुन
Lyrics By: सैय्यद क़ादरी
Performed By: आतिफ असलम
हर लम्हां देखने को
तुझे इंतज़ार करना
तुझे याद कर के अक्सर
रातों में रोज़ जगना
बदला हुआ है कुछ तो
दिल इन दिनों ये अपना
काश वो पल पैदा ही न हो
जिस पल में नज़र तू न आये
गर कहीं ऐसा पल हो
तो उस पल में मर जाएँ
मर जाएँ, मर जाएँ
मर जायें, हो मर जायें
तुझसे जुदा होने का तसव्वुर
एक गुनाह सा लगता है
जब आता है भीड़ में अक्सर
मुझको तन्हाँ करता है
ख़्वाब में भी जो देख ले ये
रात की नींदें उड़ जाएँ
मर जाएँ, मर जाएँ...
अक्सर मेरे हर एक पल में
क्यूँ ये सवाल सा रहता है
तुझसे मेरा ताल्लुक है ये कैसा
आख़िर कैसा रिश्ता है
तुझको न जिस दिन हम देखें
वो दिन क्यूँ गुज़र ही न पाए
मर जाएँ, मर जाएँ...
Reprise
मैंने जिसे चाहा ही नहीं
वो शख्स क्यूँ अच्छा लगता है
क्यूँ हर लम्हां उसकी तमन्ना
दिल ये हरदम करता है
हो अपने दिल कीसुलझन उलझन को
कैसे भला सुलझाएँ
मर जाएँ, मर जाएँ...
तू न मिले जिस रोज़ वो दिन
कब आसानी से कटता है
दिल का धड़कना, साँस का चलना
एक सज़ा सा लगता है
दिल ही जाने बगैर तेरे
हम कैसे जी पाएँ
मर जाएँ, मार जाएँ...
Music By: मिथुन
Lyrics By: सैय्यद क़ादरी
Performed By: आतिफ असलम
हर लम्हां देखने को
तुझे इंतज़ार करना
तुझे याद कर के अक्सर
रातों में रोज़ जगना
बदला हुआ है कुछ तो
दिल इन दिनों ये अपना
काश वो पल पैदा ही न हो
जिस पल में नज़र तू न आये
गर कहीं ऐसा पल हो
तो उस पल में मर जाएँ
मर जाएँ, मर जाएँ
मर जायें, हो मर जायें
तुझसे जुदा होने का तसव्वुर
एक गुनाह सा लगता है
जब आता है भीड़ में अक्सर
मुझको तन्हाँ करता है
ख़्वाब में भी जो देख ले ये
रात की नींदें उड़ जाएँ
मर जाएँ, मर जाएँ...
अक्सर मेरे हर एक पल में
क्यूँ ये सवाल सा रहता है
तुझसे मेरा ताल्लुक है ये कैसा
आख़िर कैसा रिश्ता है
तुझको न जिस दिन हम देखें
वो दिन क्यूँ गुज़र ही न पाए
मर जाएँ, मर जाएँ...
Reprise
मैंने जिसे चाहा ही नहीं
वो शख्स क्यूँ अच्छा लगता है
क्यूँ हर लम्हां उसकी तमन्ना
दिल ये हरदम करता है
हो अपने दिल की
कैसे भला सुलझाएँ
मर जाएँ, मर जाएँ...
तू न मिले जिस रोज़ वो दिन
कब आसानी से कटता है
दिल का धड़कना, साँस का चलना
एक सज़ा सा लगता है
दिल ही जाने बगैर तेरे
हम कैसे जी पाएँ
मर जाएँ, मार जाएँ...
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