Tuesday, 7 November 2017

तु किसी रेल सी गुज़रती है - Tu Kisi Rail Si Guzarti Hai (Swanand Kirkire, Masaan)


Movie/Album: मसान (2015)




Music By: इंडियन ओशन

Lyrics By: वरुण ग्रोवर (प्रेरित: दुष्यंत कुमार)
Performed By: स्वानंद किरकिरे











तू किसी रेल सी गुज़रती है
मैं किसी पुल सा थरथराता हूँ
तू भले रत्ती भर ना सुनती हो
मैं तेरा नाम बुदबुदाता हूँ
किसी लम्बे सफर की रातों में
तुझे अलाव सा जलाता हूँ

काठ के ताले हैं, आँख पे डाले हैं
उनमें इशारों की चाबियाँ लगा
रात जो बाकी है, शाम से ताकी है
नीयत में थोड़ी खराबियाँ लगा
मैं हूँ पानी के बुलबुले जैसा
तुझे सोचूँ तो फूट जाता हूँ
तू किसी रेल सी गुज़रती है
मैं किसी पुल सा थरथराता हूँ

मन कस्तूरी रे - Mann Kasturi Re (Amit Kilam, Masaan)


Movie/Album: मसान (2015)

Music By: इंडियन ओशन
Lyrics By: वरुण ग्रोवर
Performed By: अमित किलाम


पाट ना पाया मीठा पानी
ओर-छोर की दूरी रे
मन कस्तूरी रे, जग दस्तूरी रे
बात हुई ना पूरी रे
खोजे अपनी गंध ना पावे
चादर का पैबंद ना पावे
बिखरे-बिखरे छंद सा टहले
दोहों में ये बंध ना पावे
नाचे हो के फिरकी लट्टू
खोजे अपनी धूरी रे
मन कस्तूरी रे





उमर की गिनती हाथ न आई
पुरखों ने ये बात बताई
उल्टा कर के देख सके तो
अम्बर भी है गहरी खाई
रेखाओं के पार नज़र को
जिसने फेंका अन्धे मन से
सतरंगी बाज़ार का खोला
दरवाज़ा फिर बिना जतन के
फिर तो झूमा बावल हो के
फिर तो झूमा बावल हो के
सर पे डाल फितूरी रे
मन कस्तूरी रे...